Tuesday, June 20, 2023

सक्षम युवा आयाम द्वारा सक्षम स्थापना दिवस मनाया गया

 सक्षम स्थापना दिवस कार्यक्रम

दीपप्रज्वलन और माल्यार्पण के साथ कार्यक्रम की शुरूआत की गई।

मुख्य वक्ता श्रीमान संजीव कुमार एच एम जी ने, कुमारसम्भवम ग्रंथ का प्रसंग लेते हुए ज्ञान परम्परा और जीवन की सिद्धि और भक्ति के माध्यम से कर्म, सेवा और समर्पण के महत्व बताया। गुरु के महत्व को बताते हुए बताये कि कबीर दास जी ने कहा है कि "सात समुन्दर मसि करू, लेखन सब वन रानि" द्वारा गुरु अर्थात मार्गदर्शक के महत्व को बताया। ज्ञान के महत्व को बताते हुए बोले कि'विद्या से विनय और विनय से पात्र और पात्र से धन की प्राप्ति होती है। आपकी शिक्षा आपकी वाणी और कर्मो से स्पष्ट होती हैं। राष्ट्र निर्माण कभी भौतिक वस्तुओं से नही बनती है, राष्ट्र हमेशा चेतना से बनती हैं। हंसराज कॉलेज में प्रतिवर्ष गौपुजा होती हैं। आज इतने वर्षों बाद भी राष्ट्र निर्माण की खोज करने की क्या जरूरत पड़ी? ये विमर्श का विषय है। यह तभी सम्भव है जब हमारे देश के युवा सामाजिक कार्य मे चढ़-बढ़ कर भागीदारी निभायेंगे।

मुख्य अतिथि महेंद्र कपूर भाई जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि- 

सक्षम की स्थापना दिवस की आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएं।

आज मैं सिर्फ सुनने और जानने के उद्देश्य से आया हूँ।

ये आज आप लोगो से मुझे सीखने की जरूरत है।

ABRSM की स्थापना 1988 में हुई।

सभी प्रकार के शिक्षक संवर्ग में कार्य करने वाले लोग इससे जुड़े हैं। अभी 12 लाख सदस्य इससे जुड़े हुए हैं।

ABRSM में गुरुदक्षिणा कार्यक्रम होता है, इसमें छात्रों को शिक्षक के प्रति संस्कार देने का कार्य करते हैं।

अगर शिक्षक, छात्र के समस्या समाधान का उपाय नही दे सकता तो वह शिक्षक कहने के योग्य नहीं है।

शिक्षक, शिक्षा के हित मे होना चाहिए, अर्थात अद्यतित(Update) होना चाहिए। 

शिक्षक, प्रिंसिपल और वाईस चांसलर को शिक्षा मंत्री से मिलने के लिए लंबा प्रतीक्षा करनी पड़ती हैं, क्या हमारा यही संस्कार हैं।

शिक्षक के हित में समाज का जागरूक करना।

बच्चा घर मे भोजन करते समय, अपने शिक्षक के बारे में बात करता है। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि शिक्षक का आचरण अच्छा होना चाहिए।

अजमेर के एक शिक्षक के प्रसंग का वर्णन करते हुए बताए कि एक शिक्षक का एक छात्र कुछ दिनों से स्कूल नही आ रहा था तो अचानक एक दिन दिखा तो उस शिक्षक ने उस बच्चे से पूछा तो बच्चे ने बताया कि उसके पिता जी की मृत्यु हो गई हैं, और अब पिता जी का कार्य 'पत्थर तोड़ने का' कार्य मुझे करना पड़ रहा है और परिवार का भरण पोषण मुझे करना पड़ता है, इसलिए मैं स्कूल नही आ पा रहा हूँ।  सवाल यह है कि क्या हम ऐसे बच्चों के साथ भावनात्मक रूप से जुड़े हैं कि नही?

कार्यक्रम के अध्यक्ष, श्रीमान सतीश अग्रवाल भाई जी

सक्षम कोविड-19 महामारी के समय पूरी दिल्ली में भोजन और अन्य सहायक कार्य किया गया।

संस्कार विकास में शिक्षक का महत्वपूर्ण योगदान है, और राष्ट्र निर्माण में उनकी महती भूमिका है। दिव्यांग उत्थान में पहली कड़ी शिक्षक है। इसलिए सभी शिक्षकों को चाहिए कि दिव्यांग संवेदनशीलता और जागरूकता में योगदान करें।

मुख्य वक्ता, विशिष्ट वक्ता और मुख्य अतिथि के संबोधन के पश्चात स्रोताओं से प्रश्न आमंत्रित किए गए। बहुत सारे स्रोताओं ने सक्षम से संबंधित कई सारे प्रश्न वक्ता महोदय से पूछे और अपने जिज्ञासाओं को शांत किया।

       अंत मे धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम सुखद समापन हुआ।